यहाँ समय का सदुपयोग पर निबंध दिया गया है. ये सभी निबंध विद्यार्थियो के लिए है. किसी भी परीक्षा के लिए या फिर किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए इसका इस्तेमाल कर सकते है. यहाँ दिया गया Utilization of time Essay ( रूपरेखा सहित ) विविध श्रेणी में है. जिसमे कक्षा 4 से लेकर कक्षा 12 और college student तक इसका इस्तेमाल कर सकते है. class 3 to 5, class 6 to 9, class 10 to 12 तक के सभी छात्रो के लिए उपयोगी है. दिए गए सभी निबंध 100 word, 250 word, 500 word के लिए है.
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समय का सदुपयोग पर निबंध – 500 शब्द
समय के सदुपयोग के संबंध में संत कबीर ने लिखा है—
‘काल्ह करै सो आज कर, आज करै सो अब्ब।
पल में परलै होयगी, बहुरि करौगे कब्ब।”
अर्थात हमें जो कार्य कल करना है इसे आज ही कर देना चाहिए और जो कार्य आज करना है, उसे तुरंत कर डालना चाहिए। यह इसलिए कि जीवन क्षणभंगुर है, समय का पंछी अपने डैनों को फैलाए अबाध गति से उड़ रहा है और उसका फिर लौटकर आना नितांत असंभव है ।
मानव जन्म लेता है। कुछ समय तक वह अपना शिशु और बाल जीवन व्यतीत कर किशोरावस्था में प्रवेश करता है। किशोरावस्था भी कुछ दिनों तक अपनी चमक दमक दिखाकर उससे विदा हो जाती है और उस पर जवानी का रंग चढ़ने लगता है। उस समय वह अपने जीवन के उच्च शिखर पर होता है, परंतु वहाँ भी वह टिक नहीं पाता। कुछ ही समय बाद वहाँ से फिसलकर वह वृद्ध हो जाता है और एक दिन इस संसार से हमेशा के लिए विदा हो जाता है। वृद्धावस्था में उसके अपने बीते हुए दिन फिर उसके हाथ नहीं आते। ऐसा है हमारे जीवन में समय का खेल! समय के इस खेल में जिसने फुरती और चुस्ती दिखाई, सफलता उसी के हाथ आई।
समय बहुत कीमती है। सोने, चाँदी, हीरे-जवाहरात का मूल्य लगाया जा सकता है, पर समय का मूल्य अब तक कोई नहीं लगा पाया है। पैसे-रुपए में उसकी कीमत नहीं आँकी जा सकती। उसका प्रत्येक क्षण अमूल्य होता है। पैसे-रुपए तो कुछ दिनों तक ही टिक पाते हैं। उन्हें हम जमीन में गाड़ सकते हैं और बैंक में जमा कर सकते हैं, किंतु समय टिकाऊ नहीं है। वह किसी की प्रतीक्षा नहीं करता। वह इतना तीव्रगामी है कि हवा से बातें करनेवाले वायुयान भी उसे नहीं पकड़ सकते। उसे वही पकड़ सकते हैं, जो उसकी गतिविधि पर दृष्टि जमाए रहते हैं और उसके प्रत्येक क्षण का सदुपयोग करते हैं। सदुपयोग का अर्थ है—उचित उपयोग। किसी वस्तु या कार्य को सुनियोजित ढंग से करना उसका सदुपयोग करना कहलाता है. जिन्होंने अपने जीवन का एक एक क्षण का सदुपयोग किया है, इस संसार में वे ही महान् कार्य कर सके हैं। उन्हीं को लोग ‘महामानव’ कहते हैं। उनका जीवन हमारे लिए समय के सदुपयोग का प्रेरणादायी पाठ होता है।
समय का सदुपयोग मानव की सफलता का आधार है। समय ही वह कसौटी है, जिस पर मानव-जीवन को परखने से उसकी सफलता और विफलता की परीक्षा होती है । अत: समय का सदुपयोग करना प्रत्येक समझदार व्यक्ति का परम कर्तव्य है। जीवन में समय का सदुपयोग करके ही सफलता प्राप्त की जा सकती है। जो मनुष्य अपने जीवन में समय का सदुपयोग नहीं करते हैं, वे अंत में असफल रहते हैं और तरह-तरह के कष्ट भोगते हैं। ‘खाओ, पियो और मौज करो’ के सिद्धांत में विश्वास करनेवाले व्यक्तियों को कभी सफलता प्राप्त नहीं होती ।
समय के समान बहुमूल्य पदार्थ इस विश्व में दूसरा नहीं है। इसकी समता संसार की कोई वस्तु नहीं कर सकती। धन-वैभव के एक बार चले जाने पर वह फिर भी प्राप्त हो सकता है, किंतु बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। इस रहस्य को जो छात्र समझ लेता है वह कभी बेकार नहीं बैठता। वह अपने जीवन में सतत प्रत्येक क्षण का सदुपयोग कर विद्वान् बनता है। आज संसार में जितने सेठ, साहूकार, लखपति, करोड़पति, उच्च कोटि के नेता, विद्वान् और महापुरुष दिखाई दे रहे हैं, उन सबने समय का सदुपयोग करके ही ख्याति प्राप्त की है और आदर के पात्र बने हैं। उन्होंने अपने जीवन में आलस्य, अकर्मण्यता, प्रमाद आदि को कभी स्थान नहीं दिया। वे अपने उद्देश्य की पूर्ति में निरंतर लगे रहे और अब भी दिन-रात कार्यरत रहते हैं। समय का दुरुपयोग करना अपने हाथों अपने पैर में कुल्हाड़ी मारना है।
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Utilization of time Essay in hindi Class 10 To 12
मानव-जीवन क्षण भंगुर है, इसीलिए जीवन के हर क्षण को मूल्यवान समझकर हर व्यक्ति को स्वयं को किसी-न-किसी जीवनोपयोगी काम में व्यस्त रखना चाहिए। मानव-जीवन की सफलता का रहस्य समय के सदुपयोग में निहित है। जो व्यक्ति अपने अमूल्य समय का लाभ नहीं उठाते-वे पश्चाताप करते रहते हैं। उनके बारे में किसी कवि का यह मत चरितार्थ होता है
“अब पछिताए क्या होत है, जब चिड़िया चुग गई खेत।”
स्वामी रामतीर्थका यह मत सदेव प्रांसगिक रहेगा’सफलता का पहला सिद्धान्त हे-अनवरत कर्म।’
हर क्षण मानव को परमात्मा के द्वारा दी गई सबसे बड़ी पूंजी है। यदि हमने एक-एक क्षण की पूंजी व्यर्थ में गवा दी तो जीवन चौपट हो जाएगा। समय का सदुपयोग करना वस्तुतः मानव-धर्म भी है।
संत कबीर का मत है कि
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब्ध।
पल में परले होईगी, बहुरि करेगा कब्ब।।’
हमें समय का मूल्य समझना चाहिए तथा समयानुसार काम भी करना चाहिए। जो व्यक्ति समय की पाबन्दी को समझ लेता है तथा उसे महत्त्व देता है- उसका चरित्र विशेषतः सभी के लिए अपरिहार्य हो जाता है। प्रायः सभी महापुरुष समय के पाबन्द रहे हैं। इसके विपरीत समय की शिथिलता चरित्र की बहुत बड़ी दुर्बलता है। जो व्यक्ति आलस्यवश अपने समय को नष्ट कर देता है- समय उसे नष्ट कर देता है। इसी बात का ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को समय का मूल्य समझना चाहिए।
समय बहुत शक्तिशाली होता है। जो व्यक्ति समय की परख कर लेता हे- वह रंक से राजा हो जाता है तथा जो व्यक्ति समय की परख नहीं करता-समय की उपेक्षा करता है, वह राजा से रंक हो जाता है। इसीलिए आवश्यकता इस बात कि हे कि हम समय की गति एवं स्वभाव को पहचानें। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ ऐसे क्षण आते हैं जिन पर उसके भाग्य का बनना अथवा बिगड़ना निर्भर होता है। यदि उसने समय की पहचान कर ली और उसका सदुपयोग कर लिया तो सफलता उसके चरण चूमेगी। यदि उसने थोड़ा सा भी प्रमाद कर दिया तो बात सदेव के लिए बिगड़ जाएगी।
किसी भी व्यक्ति को कोई भी काम असमय नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति निश्चित समय पर अपना काम सम्पादित कर लेता है, उसके जीवन में नियमितता आती है। यह एक अच्छी आछत है। इसे हम ‘सफलता की कुंजी’ भी मानते हैं।
आलस्य एवं कर्महीनता किसी भी व्यक्ति के सबसे बड़े शत्रु हैं। यशस्वी साहित्यकार मुंशी प्रेमचन्द का जीवनोपयोगी वचन है कि-‘आलस्य वह रोग है, जिसका रोगी कभी नहीं संभलता’। व्यक्ति के जीवन में कर्महीनता नहीं आनी चाहिए। ‘गीता’ का एक अपरिहार्य’ सन्देश है’अनासक्त कर्म का सन्देश’। कुछ व्यक्ति समाज में ऐसे भी होते हैं जो निष्क्रियता का परिचय देते है। खाली बैठे हुए व्यक्ति का मन बुरी बातों की ओर ही जाता है। अंगरेजी के किसी लेखक का मत है कि
“An Empty man’s mind is a devil’s workshop.”अर्थात् जो व्यक्ति कर्महीन होता है- उसे शेतानियाँ ही सूझती हैं।
हमारी यह निश्चित मान्यता है कि पलंगतोड़ संस्कृति व्यक्ति को निकम्मा बना देती है। समय की महत्ता को जानने वाले तथा समझने वाले जर्मनी एवं जापान के निवासियों ने एक-एक क्षण का सदुपयोग कर अपने देश को ‘कुबेर’ बना लिया है। डॉ. नगेन्द्र नगाइच (अप्रवासी की यात्राए) का मत है कि- “जापान में जीवन कभी विश्राम नहीं लेता” भारत की जनता का बहुलांश ऐसा है जो विश्राम-ही-विश्राम करने में अपना समय बिता देता है।
वेयक्तिक और सामूहिक सफलता का एकमात्र रहस्य हे- समय की पूजा अर्थात एक-एक पल का सदुपयोग।”यदि हम भारत के प्रगतिशील एवं राष्ट्रवादी नागरिक’ बनना चाहते हैं तो हमें अपने समय का सदुपयोग करना चाहिए। यदि हम अपने समय का दुरुपयोग करेंगे तो हम निश्चय ही ‘कंगाल’ बन जाएंगे।
samay ka sadupyog essay in hindi 250 words
समय धन से भी ज्यादा कीमती है; क्योंकि यदि धन को खर्च कर दिया जाए तो यह वापस प्राप्त किया जा सकता है हालांकि, यदि हम एक बार समय को गंवा देते हैं, तो इसे वापस प्राप्त नहीं कर सकते हैं। समय बिना किसी रुकावट के निरंतर चलता रहता है। यह कभी किसी की प्रतिक्षा नहीं करता है।
इसलिए, हमें जीवन के किसी भी दौर में कभी भी अपने कीमती समय को बिना किसी उद्देश्य और अर्थ के व्यर्थ नहीं करना चाहिए। हमें हमेशा समय के अर्थ को समझना चाहिए और उसी के अनुसार, इसे सकारात्मक ढंग से कुछ उद्देश्यों की पूर्ति के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए। हमें इससे निरंतर कुछ ना कुछ सीखते रहना चाहिए।
समय भगवान की दें है. और ये सभी मनुष्यों को मिली हुयी है. लेकिन फर्क ये है की कौन किस कैसे समय का इस्तेमाल करता है. कोई राजा से रंक बन जाता है तो रंक से राजा भी बन जाता है. इसलिए समय का उपयोग ऐसे कार्यो के लिए करना चाहिए जो अपने जीवन को, समाज को देश को आगे बढ़ने में मदद करे.
समय का सदुपयोग पर निबंध 100 शब्द
समय का हमारे जीवन ने महत्वपूर्ण स्थान है।खोया हुआ धन पुनः अर्जित किया जा सकता है, खोया वैभव पुनः प्राप्त किया जा सकता है, किन्तु समय को एक बार खोने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।
समय का सदुपयोग कर जीवन को नयी दिशा दी जा सकती है । समय गतिशील है तो हमें भी समय के साथ साथ चलना चाहिए। विद्यार्थी जीवन में तो समय का ज्यादा महत्व है। यदि विद्यार्थी जीवन में समय का सही उपयोग किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त होती है
समय को सही प्रकार से उपयोग किया जाए तो समय कभी भी प्रतिकूल नहीं होता, बल्कि हर कदम पर हमारा साथ देता है। हमारे देश के सभी महँ लोगो ने समय का सदुपयोग करके और अपनी मेहनत से सफलता प्राप्त की है।
इसलिए समय के मूल्य को समजकर सही कार्य करना सीखना चाहिए तभी जीवन में सफलता मिल सकेगी।