महात्मा गांधी का जीवन कालक्रम – Mahatma Gandhi Timeline hindi

गांधीजी के जीवन के विशेष घटनाक्रम – महात्मा गांधी की जीवनी

अपने जीवन को ही आपना सन्देश बतानेवाले भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को कौन नहीं पहचानता. आज हम महात्मा गांधीजी के जीवन की प्रमुख घटनाए आपको तारीख के साथ बता रहे है. आप इसे गांधीजी का जीवनचक्र भी कह सकते है. जन्म से लेकर मृत्यु तक महात्मा गांधी का जीवन परिचय यहाँ बताया गया है. सभी महत्वपूर्ण जानकारी का संचय किया है.

महात्मा गांधी का जीवन परिचय

अगर आप college student है या फिर छात्र है या फिर कोई प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे है तो यहाँ दी गयी सभी जानकारी आपको मदद करेगी. महात्मा गांधीजी के जीवन कालक्रम को कालक्रमानुसार व्यवस्थित करने के पश्नो के हल करने के लिए इस्तेमाल कर सकते है. history exam के लिए और gandhi युग से related question के answer आप तैयार कर सकते है. महात्मा गांधी का जीवन परिचय hindihelpguru टीम ने तैयार किया है.

महात्मा गांधी का जीवन कालक्रम

महात्मा गाँधी जीवन कालक्रम – Life Chronology

  • 2 अक्टूबर, 1869 : भारत में काठियावाड़ के पोरबंदर नामक स्थान पर जन्म, करमचंद और पुतलीबाई के पुत्र।
  • सन् 1883 : कस्तूरबा से विवाह।
  • सन् 1888 : कानून की पढ़ाई के लिए जलयान द्वारा बंबई से इंग्लैंड रवाना ।
  • सन् 1891 : बैरिस्टर बनकर भारत वापसी; बंबई एवं राजकोट में वकालत शुरू की
  • अप्रैल 1893 : एक भारतीय फर्म का वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका रवाना। स्वयं को रंगभेद का शिकार पाना ।

Mahatma gandhi short biography in hindi

  • 15 जुलाई, 1894 : नाटाल भारतीय कांग्रेस का गठन।
  • सन् 1899 : बोअर युद्ध में ब्रिटेन के लिए भारतीय एंबुलेंस कोर का गठन।
  • सन् 1901 : परिवार के साथ भारत के लिए रवाना।
  • सन् 1901-02 : भारत में व्यापक रूप से यात्रा। कलकत्ता में हुई भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में उपस्थिति और बंबई में ‘लॉ आफिस’ खोलना।
  • सन् 1902 : भारतीय समुदाय के अनुरोध पर फिर से दक्षिण अफ्रीका प्रवास ।
  • सन १९०४ – साप्ताहिक पत्र indian ओपिनियन की स्थापना डरबन के निकट ‘फिनिक्स आश्रम’ की शुरुआत।
  • सितंबर 1906 : ट्रांसवाल में भारतीय प्रवासियों के विरुद्ध प्रस्तावित एशियाटिक अध्यादेश के विरुद्ध सत्याग्रह अभियान ।
  • जून 1907 : एशियावासियों के लिए अनिवार्य पंजीकरण (द बलैक ऐक्ट) के विरोध में सत्याग्रह।
  • जनवरी १९०८ : सत्याग्रह भड़काने के लिए मुकदमा चला और जोहानिसबर्ग में दो महीने जेल की सजा दी गई। (यह उनकी प्रथम जेल-यात्रा थी) प्रिटोरिया में जनरल स्मट्स ने विचार-विमर्श के लिए बुलाया। समझौता। जेल से रिहाई।

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  • अगस्त १९०८ : स्मट्स ने समझौता तोड़ा। दूसरा सत्याग्रह अभियान पंजीकरण प्रमाणपत्रों की होली जलाकर आरंभ किया ।
  • फरवरी 1909 : तीन महीने की कैद।
  • 1 जून 1909 : भारतीयों का पक्ष प्रस्तुत करने के लिए इंग्लैंड गए।
  • मई 1910 : जोहानिसबर्ग के निकट टॉल्सटाय फार्म की स्थापना |
  • अक्टुम्बर 1912 : गोखले की दक्षिण अफ्रीका यात्रा। गांधीजी से भेंट।
  • सितंबर 1913 : ऐसे विवाहों को निष्प्रभावी करने के विरुद्ध अभियान में सहायता, जो ईसाई अनुष्ठानों के अनुसार नहीं किए जाते। तीसरा सत्याग्रह अभियान। न्यू कैसल से चार हजार भारतीय खनिकों के दल को ट्रांसवाल सीमा के पार ले जाने में नेतृत्व
  • नवबर 1913 : चार दिनों में तीसरी गिरफ्तारी
  • दिसंबर 1913 : समझौते की आशा में बिना शर्त रिहा।
  • जुलाई 1914 : : दक्षिण अफ्रीका को हमेशा के लिए छोड़कर भारत वापसी.
  • मई 1915 : अहमदाबाद में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना
  • सन् 1917 : साबरमती नदी के किनारे नए स्थान पर आश्रम ले जाना। चंपारण में नील उगाने वाले किसानों के अधिकारों के लिए सफल सत्याग्रह अभियान का नेतृत्व। अप्रैल में वह क्षेत्र छोड़ देने के आदेश का उल्लंघन, मोतिहारी में गिरफ्तारी और मुकदमा चलाया जाना; लेकिन बाद में मुकदमे को उठा लेना।
  • सन् 1918 : फरवरी : अहमदाबाद के मिल मजदूरों की हड़ताल का नेतृत्व। उनके तीन दिन के अनशन (भारत में पहला अनशन) के बाद मिल मालिकों द्वारा मध्यस्थता स्वीकार करना।

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  • मार्च 1918 : खेड़ा के किसानों के लिए सत्याग्रह का नेतृत्व।
  • अप्रैल 1918 : रोलेट बिल के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी हड़ताल का गठन। हिंसा के पश्चात्ताप के लिए साबरमती में तीन दिन का अनशन तथा सत्याग्रह अभियान को स्थगित करना, जिसे उन्होंने भयंकर भूल कहा; क्योंकि लोग पर्याप्त रूप से अनुशासित नहीं थे। अंग्रेजी के साप्ताहिक ‘यंग इंडिया’ और गुजराती ‘नवजीवन’ के संपादक बने।
  • अप्रैल 1920 : अखिल भारतीय ‘होमरूल लीग’ के अध्यक्ष चुने गए। असहयोग के सत्याग्रह अभियान के प्रस्ताव को पास कराने में सफल |
  • सन् 1921 : घर के सूत का प्रचार करने और जनता के साथ अपनी पहचान को सार्थक बनाने के लिए आजीवन केवल लाँगोटी धोती पहनने का दृढ़ निश्चय। व्यापक रूप से सविनय अवज्ञा, हजारों ने जेल-यात्रा की। भारतीय कांग्रेस की ओर से गांधीजी को ‘एकमात्र कार्यकारी सत्ता’ सौंपा जाना।
  • सन् 1922 : चौरी-चौरा में हिंसा के कारण असहयोग आंदोलन को स्थगित करना; प्रायशि्चत्त के रूप में बारदोली में पाँच दिन का अनशन। ‘यंग इंडिया’ में छपे लेखों के कारण राजद्रोह के अभियोग पर साबरमती में गिरफ्तारी। अहमदाबाद में न्यायाधीश ब्रूमफील्ड के समक्ष इस महान् मुकदमे (ग्रेट ट्रायल) में अपने विख्यात वक्तव्य में दोष स्वीकार करना। यरवदा जेल में छह वर्ष के लिए कारावास की सजा।
  • सन 1929 : कलकत्ता में विदेशी कपड़ों की होली जलाने के लिए गिरफ्तारी और एक रुपया जुर्माने की सजा।
  • दिसंबर 1929 : लाहौर के कांग्रेस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता और विधानमंडलों के बहिष्कार के प्रस्ताव पास किए गए। 26 जनवरी को राष्ट्रीय स्वाधीनता मनाने का प्रस्ताव । तीसरा अखिल भारतीय सत्याग्रह अभियान।
  • 12 मार्च 1030 : साबरमती से 79 स्वयंसेवकों के साथ ऐतिहासिक नमक अभियान हेतु 241 मील दूर समुद्र-तट पर दांडी के लिए प्रस्थान।
  • 6 अप्रैल 1930 : समुद्र-तट पर एक मुट्ठी नमक उठाकर नमक कानून भंग किया। सशस्त्र पुलिस द्वारा कदीं में गिरफ्तार। बिना मुकदमा चलाए यरवदा जेल में बंदी। 1 लाख व्यक्ति गिरफ्तार किए गए।
  • जनवरी 1931: बिना शर्त रिहा ।
  • मार्च 1931: गांधी-इरविन (वायसराय) समझौते पर हस्ताक्षर, जिसके फलस्वरूप सविनय अवज्ञा की समाप्ति ।

गांधीजी पर शायरी और कोट्स हिंदी में

  • अगस्त 1931: लंदन में दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए बंबई से प्रस्थान। दिसंबर में भारत लौटे। सत्याग्रह अभियान आरंभ करने के लिए कांग्रेस द्वारा स्वीकृति।
  • सन 1932 : जनवरी : सरदार पटेल के साथ बंबई में गिरफ्तार। बिना मुकदमे यरवदा जेल में बंदी। 20 सितंबर : अछूतों को पृथक् निर्वाचक मंडल प्रदान करने के लिए ब्रिटिश निर्णय के विरुद्ध जेल में ही ‘आमरण अनशन’ आरंभ ।
  • 26 सितंबर : ब्रिटिश सरकार द्वारा ‘यरवदा समझौता’ स्वीकार कर लेने के बाद रवींद्रनाथ टैगोर की उपस्थिति में अनशन समाप्त।
  • सन 1933 : ‘यंग इंडिया’ के स्थान पर ‘हरिजन’ नामक साप्ताहिक का प्रकाशन।जुलाई : साबरमती आश्रम को बंद कर देना, जो छुआछूत-निवारण का एक केंद्र बनाया गया. नवम्बर : अस्पृश्यता को समाप्त करने में सहायता देने के लिए दस महीनों की भारत यात्रा आरम्भ
  • अक्तूबर 1934 : अखिल भारतीय ग्रामोद्योग संघ का प्रारंभ।
  • सन् 1935 : स्वास्थ्य में गिरावट; स्वास्थ्य-लाभ हेतु बंबई प्रवास।
  • सन् 1936 : वर्धा के पास से गाँव में आश्रम बनाया। बाद में यह स्थान ‘सेवाग्राम’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
  • सन् 1938 : खान अब्दुल गफ्फार खान के साथ उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत की यात्रा।
  • मार्च 1939 : राजकोट में आमरण अनशन। चार दिन बाद वायसराय द्वारा मध्यस्थ की नियुक्ति के बाद अनशन समाप्त।
  • अक्तूबर 1940 : द्वितीय विश्व युद्ध के बारे में भारतीयों को अपनी राय देने की अनुमति से ब्रिटेन द्वारा इनकार करने के विरुद्ध सीमित व्यक्तिगत सविनय अवज्ञा अभियान आरंभ। एक वर्ष के भीतर 23,000 लोगों को जेल की सजा।
  • मार्च 1942 : नई दिल्ली में सर स्टेफोर्ड क्रिप्स से भेंट, किंतु उनके प्रस्तावों को ‘भावी तिथि के चेक’ (पोस्ट डेटेड चेक) कहना। यह प्रस्ताव अंतत: कांग्रेस द्वारा अस्वीकृत।
  • अगस्त 1942 : कांग्रेस ने ‘भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पास किया। गांधीजी के नेतृत्व में अंतिम राष्ट्रव्यापी आंदोलन का आह्वान।
  • अगस्त, 1942 : कस्तूरबा तथा अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ गिरफ्तारी और पूना के निकट आगा खाँ महल में बंदी। देश के अनेक भागों में विद्रोह । वायसराय से पत्र-व्यवहार।
  • 15 अगस्त, 1942: गांधीजी के सचिव और अंतरंग महादेव देसाई का आगा खाँ महल में आकस्मिक निधन।

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  • 10 फरवरी, 1943 : वायसराय और भारतीय नेताओं के बीच वार्ता में उत्पन्न गतिरोध को समाप्त करने के लिए आगा खाँ महल में 21 दिन का उपवास आरंभ ।
  • 22 फरवरी, 1944: 74 वर्ष की आयु में आगा खाँ महल में बंदी अवस्था में कस्तूरबा गांधी की मृत्यु।
  • 6 मई, 1944 : स्वास्थ्य गिर जाने के कारण बिना शर्त रिहा। (यह – उनकी अंतिम जेलयात्रा थी. अपने जीवनकाल में उन्होंने 2,388 दिन जेल में बिताए।)
  • सितम्बर 1944: हिंदू-मुसलिम एकता पर मुसलिम लीग के नेता जिन्ना से बंबई में महत्वपूर्ण वार्ता।
  • नवम्बर 1946: प्रांतीय सरकारों में मुसलिम प्रतिनिधित्व को लेकर हुए सांप्रदायिक दंगों को दबाने के लिए पूर्वी बंगाल के 49 गाँवों का चार महीने लंबा दौरा आरंभ।
  • मार्च 1947 : हिंदू-मुसलिम तनाव को कम करने के लिए बिहार का दौरा। नई दिल्ली में लॉर्ड माउंटबेटन और जिन्ना के साथ सम्मेलन।
  • मई 1947 : देश को भारत तथा पाकिस्तान के रूप में विभाजित करने के निर्णय को कांग्रेस की स्वीकृति का विरोध । भारत के विभाजन और स्वाधीनता दिए जाने के बाद कलकत्ता में हुए दंगों को रोकने के लिए अनशन और प्रार्थनाएँ।
  • 15 अगस्त 1947 : भारत के विभाजन और स्वाधीनता दिए जाने के बाद कलकत्ता में हुए दंगों को रोकने के लिए अनशन और प्रार्थनाएँ।

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  • सितम्बर 1947 : दिल्ली तथा आस-पास के अन्य क्षेत्रों का दंगा रोकने के लिए दौरा तथा शरणाथीं। शिविरों को देखने जाना। सन् 1946 के बाद से गांधीजी का प्रयास हिंदू मुसलिम एकता कायम करने पर केंद्रित 1946 को सीधी कार्रवाई दिवस (डायरेक्ट ऐक्शन डे) के रूप में मनाने की घोषणा के बाद से पूरे भारत में हिंदू-मुसलिम दंगे भड़कते रहे। यह कभी स्पष्ट नहीं किया गया कि ‘सीधी कार्रवाई’ का क्या अर्थ था। लेकिन मुसलमानों ने इस आह्वान का हिंसा के रूप में उत्तर दिया। 16 से 18 अगस्त तक कलकत्ता में हुआ भीषण हत्याकांड ‘सीधी काररवाई दिवस’ का पहला कड़वा फल था। गांधीजी ने ऐसे बहुत से क्षेत्रों—जैसे नोआखाली—का दौरा सांप्रदायिक सद्भाव पुन: करने के लिए किया.
  • 13 जनवरी, 1948: सांप्रदायिक एकता कायम करने के लिए पाँच दिन का उपवास रखा। (यह उनके जीवन का अंतिम उपवास था।)
  • 20 जनवरी, 1948: बिड़ला हाउस, दिल्ली में प्रार्थना के दौरान बम धमाका।
  • 30 जनवरी, 1948: दिल्ली के बिड़ला हाउस में आयोजित एक प्रार्थना सभा में नाथूराम विनायक गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या।

आशा करते है यहाँ दिया गया महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपको पसंद आया होगा.

महात्मा गांधी का जीवन कालक्रम के रूप में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Q: महात्मा गांधी की जन्मतिथि का क्या महत्व है?
A:
महात्मा गांधी की जन्मतिथि, 2 अक्टूबर, भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह देश के स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए समर्पित एक राष्ट्रीय अवकाश है।

Q: गांधीजी को विरोध के साधन के रूप में अहिंसा अपनाने के लिए किसने प्रेरित किया?
A:
गांधीजी लियो टॉल्स्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे महान दार्शनिकों की शिक्षाओं से प्रभावित थे, जिन्होंने उत्पीड़न के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध की वकालत की थी।

Q: क्या गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांतों को सफलता मिली?
A:
हां, गांधी के अहिंसा के दर्शन ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और दुनिया भर में नागरिक अधिकार आंदोलनों द्वारा इसे अपनाया गया है।

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