Bal Gangadhar tilak essay in Hindi And English
Bal Gangadhar Tilak essay in Hindi and English PDF – बाल गंगाधर तिलक पर निबंध : आज हम इस लेख में उग्र राष्ट्रवाद के जन्मदाता एवं भारत में राष्ट्रीय आन्दोलन को एक नई दिशा देने वाले महान् नेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर आपको सबसे बेस्ट निबंध देनेवाले है. बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिन पर आप school – college में आयोजित निबंध लेखन स्पर्धा, या study – exam लिए निबंध के रूप में इसे तैयार कर सकते है. यहाँ दिया गया Bal Gangadhar Tilak essay कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और college student के लिए है. अगर कोई इसे भाषण के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है तो कर सकता है. इस निबंध के हमने कई प्रारूप दिए है, जैसे short Essay in bal Gangadhar tilak, 200 word ( शब्दों में ) निबंध, बच्चो के लिए 10 लाइन में निबंध …etc.
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लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक पर निबंध हिंदी में
bal gangadhar tilak par nibandh in hindi
- बाल गंगाधर तिलक पर निबंध – Class 10, 11, 12 & college student
“स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है,और मै इसे लेकर रहूँगा।” – बाल गंगाधर तिलक
बाल गंगाधर तिलक का जन्म 23 जुलाई, सन् 1856 ई. को भारत के रत्नागिरि नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम ‘लोकमान्य श्री बाल गंगाधर तिलक’ था। तिलक का जन्म एक सुसंस्कृत, मध्यमवर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम ‘श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक’ था। श्री गंगाधर रामचंद्र तिलक पहले रत्नागिरि में सहायक अध्यापक थे और फिर पूना तथा उसके बाद ‘ठाणे’ में सहायक उपशैक्षिक निरीक्षक हो गए थे। वे अपने समय के अत्यंत लोकप्रिय शिक्षक थे। बाल गंगाधर तिलक अंग्रेजों से भारत को आजाद करने के लिए लड़ने वाले पहले नेताओं में से एक थे।
स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा का नारा दिया था बाल गंगाधर तिलक ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे कई महानायक हुए जिन्होंने अपने महान कार्यों से देश को स्वतंत्र कराने में अहम भूमिका निभाई, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ऐसे ही एक महान नेता थे। बाल गंगाधर तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता कहा जाता है। स्वतंत्रता के साथ देश को आगे बढ़ाने के लिए तिलक ने शिक्षा पर विशेष जोर दिया था। स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा के नारे के साथ बाल गंगाधर तिलक ने इंडियन होम रूल लीग की स्थापना की।
लोकमान्य ने बंग-भंग आंदोलन के दौरान भारत के स्वाधीनता संग्राम को मुखर रूप प्रदान किया था। अंग्रेजों की विभाजन नीति ने सबसे पहले बंगाल को ही सांप्रदायिक आधार पर विभाजन करने की योजना बनाई। जिसे हम लोग बंग-भंग के नाम से जानते हैं। लार्ड कर्जन की इस नीति का विरोध करने वालों में लोकमान्य तिलक प्रमुख व्यक्ति थे। तिलक ने बंग-भंग आंदोलन के माध्यम से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेसकी राजपरस्त नीति का विरोध किया और कांग्रेस को स्वराज्य प्राप्ति का मंच बनाया।
बाल गंगाधर तिलक का सार्वजनिक जीवन 1880 में एक शिक्षक और शिक्षण संस्था के संस्थापक के रुप में आरम्भ हुआ। इसके बाद केसरी और मराठा के माध्यम से उन्होंने अंग्रेजों के अत्याचारों का विरोध तो किया ही, साथ ही भारतीयों को स्वाधीनता का पाठ भी पढ़ाया। वह एक निर्भीक सम्पादक थे, जिसके कारण उन्हें कई बार सरकारी कोप का भी सामना करना पड़ा।पारम्परिक सनातन धर्म व हिन्दू विचारधारा के प्रबल समर्थक तिलक का अध्ययन असीमित था। उनके द्वारा किये गए शोधो से उनके गहन गम्भीर अध्ययन का परिचय मिलता है। अपने धर्म में प्रगाढ़ आस्था होते हुए भी उनके व्यक्तित्व में संकीर्णता का लेशमात्र भी नहीं था। अस्पृश्यता के वह प्रबल विरोधी थे। इस विषय में एक बार उन्होंने स्वयं कहा था कि जाति प्रथा को समाप्त करने के लिए वह कुछ भी करने को तत्पर हैं।
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सन 1919 ई. में कांग्रेस की अमृतसर बैठक में हिस्सा लेने के लिए स्वदेश लौटने के समय तक तिलक इतने नरम हो गए थे कि उन्होंने ‘मॉन्टेग्यू- चेम्सफ़ोर्ड सुधारों’ के ज़रिये स्थापित ‘लेजिस्लेटिव काउंसिल’ (विधायी परिषदों) के चुनाव के बहिष्कार की गाँधी की नीति का विरोध नहीं किया। इसके बजाय तिलक ने क्षेत्रीय सरकारों में कुछ हद तक भारतीयों की भागीदारी की शुरुआत करने वाले सुधारों को लागू करने के लिए प्रतिनिधियों को सलाह दी कि वे उनके प्रत्युत्तरपूर्ण सहयोग’ की नीति का पालन करें। लेकिन नए सुधारों को निर्णायक दिशा देने से पहले ही 1 अगस्त, सन् 1920 ई. में बंबई [11] में तिलक की मृत्यु हो गई। उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए महात्मा गाँधी ने उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता और नेहरू जी ने भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि दी।
जिन आदर्शों के लिए वे जिये वह शाश्वत हैं। जिस राष्ट्र के लिए उन्होंने ‘स्वाधीनता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है’ का नारा दिया आज वह स्वतंत्र और दृढ़ है। स्वदेशी,स्वशिक्षा, भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए उन्होंने जो प्रयास किए वे आज भी प्रासंगिक हैं। उनके मार्ग का अनुसरण अथवा अनुकरण करना ही लोकमान्य तिलक को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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Short Essay in bal Gangadhar tilak – 150 Word
- बाल गंगाधर तिलक पर निबंध – कक्षा 3, 4, 5, 6.
‘बाल गंगाधर तिलक’ भारत देश के एक महान नेता तथा राजनीतिज्ञ थे। उनका जन्म महाराष्ट्र प्रान्त में हुआ था। उनकी शिक्षा पूना के दकन कालिज में हुई थी। उन्होंने वकालत की उपाधि भी प्राप्त की किन्तु इस व्यवसाय में हाथ ना डाला। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन देश-सेवा के लिए अर्पित कर दिया।
सर्वप्रथम उन्होंने एक स्कूल स्थापित किया और उसमे अध्यापक हो गए। उन्होंने ‘केसरी’ और ‘मराठा’ नमक दो समाचार-पत्रों का सम्पादन किया। इन समाचार-पत्रों ने लोगों में राष्ट्रीय जागृति पैदा की। देश को स्वतंत्र कराने के लिए उन्होंने अनेक कार्य किये। ब्रिटिश सरकार ने समझा कि वे लोगों को हिंसात्मक कार्यों के लिए उकसाते हैं। इसलिए उन्हें छः वर्ष के लिए बर्मा प्रदेश के मांडले नगर में निर्वासित कर दिया।
बाल गंगाधर तिलक पहले भारतीय नेता थे जिन्होंने यह कहा, “स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है। मैं इसे लेकर रहूँगा।” वह संस्कृत और गणित के प्रकांड पंडित थे।
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बाल गंगाधर तिलक पर निबंध ( 200 शब्दों में )
- बाल गंगाधर तिलक पर निबंध – Standard ( STD ) 7, 8, 9.
बाल गंगाधर तिलक (२३ जुलाई, 1856- १ अगस्त १९२०) भारत के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतन्त्रता सेनानी थे। ये भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे। इन्होंने सबसे पहले भारत में पूर्ण स्वराज की माँग उठाई। इनका कथन “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा” बहुत प्रसिद्ध हुआ। इन्हें आदर से “लोकमान्य” कहा जाता था। इन्हें हिन्दू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है।
तिलक ने अंग्रेजी सरकार की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की। इन्होंने माँग की कि ब्रिटिश सरकार तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे। केसरी में छपने वाले उनके लेखों की वजह से उन्हें कई बार जेल भेजा गया।‘क्या ये सरकार पागल हो गई है?’ और ‘बेशर्म सरकार’ जैसे उनके लेखों ने आम भारतीयों के मन में रोष की लहर दौड़ा दी। दो वर्षों में ही ‘केसरी’ देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला भाषाई समाचार-पत्र बन गया था।
लंदन के ‘ग्लोब’ और ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ समाचार पत्रों ने तिलक पर लोगों को हत्या के लिए भड़काने का आरोप लगाया। इस आरोप में तिलक को 18 महीने की कैद हो गई। नाराज अँग्रेजों ने तिलक को भारतीय अशांति का दूत घोषित कर दिया। इस बीच तिलक ने भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की सदस्यता ले ली थी, लेकिन स्वराज्य की माँग को लेकर काँग्रेस के उदारवादियों का रुख उन्हें पसंद नहीं आया और सन 1907 के काँग्रेस के सूरत अधिवेशन के दौरान काँग्रेस गरम दल और नरम दल में बँट गई। गरम दल का नेतृत्व लाला लाजपतराय, बाल गंगाधर तिलक और विपिन चंद्र पाल कर रहे थे।
उन्होंने गणेश उत्सव, शिवाजी उत्सव आदि को व्यापक रूप से मनाना प्रारंभ किया। उनका मानना था कि इस तरह के सार्वजनिक मेल-मिलाप के कार्यक्रम लोगों में सामूहिकता की भावना का विकास करते हैं। वह अपने इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हुए। तिलक ने शराबबंदी के विचार का पुरजोर समर्थन किया। वो पहले काँग्रेसी नेता थे, जिन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा स्वीकार करने की माँग की थी।
1 अगस्त, 1920 को इस जननायक ने मुंबई में अपनी अंतिम साँस ली।तिलक की मृत्यु पर महात्मा गाँधी ने कहा – ‘हमने आधुनिक भारत का निर्माता खो दिया है।’
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Bal Gangadhar Tilak essay in English
- Essay on My favourite leader Lokmanya Bal Gangadhar Tilak
Bal Gangadhar Tilak was one of the first leaders to fight for independence from India. He was a teacher, lawyer, freedom fighter and social reformer. Bal Gangadhar Tilak was born in Chikhli village in Ratnagiri district of Maharashtra and his education was also in Maharashtra. He was very skilled in reading and he also got a degree of advocacy. He was also known as Lokmanya Tilak.
Shortly after the establishment of Congress, Bal Gangadhar Tilak joined Congress and from there he began to fight for independence of India. At that time very few people dared to take the iron from the British But Bal Gangadhar Tilak bravely began to raise voice against the British slavery to remove the plight of the people of India.
Bal Gangadhar Tilak also took the newspaper, which was named “Maratha Mirror” and “Kesari” and through newspapers he started telling the people the imperfections of British rule and they were able to convince people how against the British To be fought and freedom should be taken.
Bal Gangadhar Tilak gave the slogan “Swaraj is our birthright.” The British were afraid of Bal Gangadhar Tilak and stopped them in jail after showing them small causes and sent them to Burma for a long time.
Bal Gangadhar Tilak started the tradition of public Ganesh worship and immersion to increase the strength of Hindus. Its main purpose was to increase unity among the people and strength to fight against the British. Bal Gangadhar Tilak fought for lifetime to get freedom for India and on 1 August 1920, he died suddenly in Mumbai.
Bal Gangadhar Tilak got inspiration from all the leaders and he jumped into the fight for the country’s independence and till the end, liberated the country from the British. In this way, Bal Gangadhar Tilak has contributed greatly to India’s independence. He was a great leader of India.
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bal Gangadhar tilak Short essay in English – 10 Line
- bal Gangadhar tilak essay for school student
Lokmanya Tilak was born on July 23, 1856 in Ratnagiri, Maharashtra. He was a generation of people of India who got education of modern college. The republics of Sanskrit, patriot and congenital warrior Tilak kept on lifelong efforts to restore indigenous, self-reliant and self-consciousness in India.
Tilak strongly opposed the boycott of British goods during the freedom movement which soon became a nationwide movement. Tilak had an important role in the formation of a hot party by the Congress, because his ideas for the country’s independence were always intense. Bal Gangadhar Tilak was a great writer as well as a revolutionary social worker. He took strong measures against child marriage and he played a major role in helping people during the plague and famine spread in the country.
Gangadhar Tilaka died on 1 August 1920, Mahatma Gandhi named him the maker of modern India and Jawaharlal Nehru gave the title of father of the Indian Revolution.
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