Agar Bachpan Laut Aaye Essayin Hindi : in this article provided Agar bachpan laut aaye toh speech in hindi, agar bachpan laut aaye essay compo in hindi, mera bachpan par Nibandh wikipedia, STD 5 6 and 7 Essay Hindi me, Short Essay For Primary School Student. मेरे बचपन की यादें पर निबन्ध, अगर बचपन लौट आए पर निबंध कक्षा 5 से 8, 9, 10 के छात्रों के लिए. Short Essay By HindiHelpguru.com
पढ़ाई में निबंध का अपना ही महत्व है. किसी भी भाषा के विषय में निबंध का ज्ञान होना आवश्यक है. निबंध लेखन से बच्चों की सृजन शक्ति का विकास होता है. किसी भाषा पर प्रभुत्व पाना हो तो मौलिक लेखन शक्ति का होना जरूरी है. सभी लैंग्वेज के विषय में परीक्षा में निबंध लेखन का प्रश्न जरूर पूछा जाता है. ज्यादा अंक पाने के लिए निबंध का मौलिक रचनात्मक होना आवश्यक है. आज हम यहां “ अगर बचपन लौट आए तो” विषय पर आपको निबंध देने वाले हैं.
बचपन के दिन यादगार होते हैं. बचपन का हर दिन हर कोई याद रखना चाहता है. बचपन से जुड़ी यादें हमें जीवन भर साथ देती है. बच्चों के लिए बचपन के विषय पर निबंध लिखना अपने वर्तमान में हो रही घटनाओं के बारे में लिखना है, तो मैं मानता हूं कि यह कोई कठिन विषय नहीं है. यह जरूरी है कि आपके पास निबंध लेखन का कौशल्य होना चाहिए. यहां आपको “ अगर बचपन लौट आए तो” विषय पर एक निबंध दिया गया है. आप इसे विद्यालय में, एग्जाम पेपर में या फिर किसी भाषण के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं.
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Agar Bachpan Laut Aaye Essayin Hindi
काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल.
काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार…!!
जीवन की तीन मुख्य अवस्थाएँ है-बचपन जवानी और बुढ़ापा। बचपन खेल-कूद , पढ़ाई-लिखाई और मौज-मस्ती की उम्र होती है। जवानी में व्यक्ति को तरह-तरह की जिम्मेदारियों निभानी पड़ती है। पर बुढ़ापे में शरीर कामचोर हो जाता है। ज्यादा काम करना संभव नही होता। तरह-तरह की बीमारियाँ भी शरीर को घेरे लेती है। इसलिए अच्छी उम्र बचपन की ही होती है। बचपन को ‘ जीवन की सुहावनी सुबह ‘ कहा जाता है।
बचपन में हमारा मन स्वच्छ और निश्छल होता है यदि बचपन लौट आए तो मनुष्य का मन निर्मल हो जाए। मन में इर्ष्या , द्वेष , छल , कपट , घमंड ,स्वार्थ आदि के लिए कोइ स्थान न रहे। फिर तो आपसी लड़ाई- झगड़े का भी कोई कारण न रहे।
यदि मेरा बचपन लौट आए, तो मै अपनी दादी-माँ से जी भरकर परियों की कहानियाँ सुनु. दोस्तों ले साथ जमकर दिनभर लुका-छिपी का खेल खेलु। अपना जन्मदिन बार-बार मनाने का पिताजी से हठ करुँ।
बचपन लौट आए तो निश्चिंतता व् मस्ती भरे वे सुनहरे दिन भी लौट आए। कृष्ण कन्हैया की तरह अपने बाल-सखाओ के साथे मै खेल-कूद में मस्त रहु। पेड़ो पर चढ़कर आम व् जामुन के फल तोडू। कपडे खराब होने की परवाह न करू और धूल-मिट्टी में खेलने से कभी न हिचकू। फिर से नन्हा बालक बन जाऊं, तो सर पर पढ़ाई-लिखाई का कोई भी स्थान न रहे। गणित और विज्ञान में कितनी माथा पच्ची करनी पड़ती है। फिर तो उनसे तो छुट्टी ही मिल जाए। आए दिन सर पर सवार परीक्षाओ से भी छुटकारा मिल जाए। बचपन लौट आए , तो दिल के बगीचे में खुशियों के फुल खिल उठे। और मै ‘ मछली जल की रानी है उसका जीवन पानी है ‘ जैसे शिशु गीत जाता रहूँ. पिताजी मुझे मनपसंद खिलौने दिलाए. माँ मुझे मीठी – मीठी लोरिया सुनाए. दीदी मुझे चॉकलेट और बिस्कुट दे. अहो ! कितना मजा आए, यदि बचपन लौट आए तो ….? बचपन जीवन का स्वर्णकाल है. एक बार गया हुआ बचपन फिर कभी वापस नहीं लौट सकता। फिर भी बचपन के लौट आने की कल्पना कितनी मनोहर है। वास्तव में अगर मेरा बचपन लौट आए तो मैं और भी कुछ अच्छा करना चाहूंगा।
इसलिए कहा गया है की,
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी…
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन ….
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी..
आपको कैसा लगा ये “Agar Bachpan Laut Aaye” निबंध ? जरुर बताये. और कोई निबंध चाहिए तो हमें कमेंट में बताये.
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Ye nibhand bahut acha hai . 🙂😊