हिंदी में नवीनतम सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियां बच्चों को संदेश देने का एक शानदार तरीका है। ये प्रेरणादायक नैतिक कहानियाँ बच्चों और वयस्कों के लिए नैतिक संग्रह के साथ हिंदी में महान लघु कथाएँ हैं।
हम यहां अपने ब्लॉग में हिंदी में सर्वश्रेष्ठ नैतिक कहानियां प्रदान करने के लिए हैं। हमने बच्चों के लिए लघु नैतिक कहानियाँ एकत्र की हैं। नई नैतिक कहानियों के ये संग्रह आपको सर्वोत्तम मूल्य प्रदान करते हैं।
हिंदी में बच्चों के लिए ये नैतिक कहानियाँ अच्छे नैतिक मूल्यों को सीखने के लिए सर्वोत्तम हैं। बच्चों के लिए ये हिंदी कहानियाँ आपके बच्चों पर बहुत अच्छा प्रभाव छोड़ेंगी। ये नई हिंदी नैतिक कहानियां नहीं हैं, लेकिन जैसा कि हम कहते हैं पुराना सोना है।
Moral Stories in Hindi
1.चींटी और कबूतर की कहानी:
एक बार कड़कती गर्मियों में एक चींटी को बहुत प्यास लगी हुई थी। वो पानी की तलाश में एक नदी किनारे पहुंच गयी।
नदी में पानी पीने के लिए वो एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ गयी और वहां पर वो फिसल गयी और फिसलते हुए नदी में जा गिरी। पानी का वहाव ज्यादा तेज़ होने से वो नदी में बहने लगी।
पास ही में एक पेड़ पर कबूतर बैठा हुआ था। उसने चींटी को नदी में गिरते हुए देख लिया।
कबूतर ने जल्दी से एक पत्ता तोडा और नदी में चींटी के पास फेंक दिया और चींटी उसपर चढ़ गयी। कुछ देर बाद चींटी किनारे लगी और वह पत्ते से उतर कर सूखी जमीं पर आ गयी। उसने पेड़ की तरफ देख और कबूतर को धन्यबाद दिया।
शाम को उसी दिन एक शिकारी जाल लेके कबूतर को पकड़ने आया।
कबूतर पेड़ पर आराम कर रहा था और उसको शिकारी के आने का कोई अंदाजा नहीं था। चींटी ने शिकारी को देख लिया और जल्दी से पास जाके उसके पॉंव पर जोर से काटा।
चींटी के काटने पर शिकारी की चीख निकल गयी और कबूतर जाग गया और उड़ गया।
नैतिक शिक्षा: कर भला हो भला। अगर आप अच्छा करोगे तो आपके साथ भी अच्छा होगा।
2. मां की ममता:
आम के पेड़ पर एक सुरीली नाम की चिड़िया रहती थी। उसने खूब सुंदर घोंसला बनाया हुआ था। जिसमें उसके छोटे-छोटे बच्चे साथ में रहते थे। वह बच्चे अभी उड़ना नहीं जानते थे, इसीलिए सुरीली उन सभी को खाना ला कर खिलाती थी।
एक दिन जब बरसात तेज हो रही थी। तभी सुरीली के बच्चों को जोर से भूख लगने लगी। बच्चे खूब जोर से रोने लगे, इतना जोर की देखते-देखते सभी बच्चे रो रहे थे। सुरीली से अपने बच्चों के रोना अच्छा नहीं लग रहा था। वह उन्हें चुप करा रही थी, किंतु बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए वह चुप नहीं हो रहे थे।
सुरीली सोच में पड़ गई , इतनी तेज बारिश में खाना कहां से लाऊंगी। मगर खाना नहीं लाया तो बच्चों का भूख कैसे शांत होगा। काफी देर सोचने के बाद सुरीली ने एक लंबी उड़ान भरी और पंडित जी के घर पहुंच गई।
पंडित जी ने प्रसाद में मिले चावल दाल और फलों को आंगन में रखा हुआ था। चिड़िया ने देखा और बच्चों के लिए अपने मुंह में ढेर सारा चावल रख लिया। और झटपट वहां से उड़ गई।
घोसले में पहुंचकर चिड़िया ने सभी बच्चों को चावल का दाना खिलाया। बच्चों का पेट भर गया, वह सब चुप हो गए और आपस में खेलने लगे।
नैतिक शिक्षा: संसार में मां की ममता का कोई जोड़ नहीं है अपनी जान विपत्ति में डालकर भी अपने बच्चों के हित में कार्य करती है।
3. शेर और व्हेल की मित्रता:
एक दिन एक शेर समुद्र के किनारे खड़ा होकर लहरों को तट से टकराते हुए देख रहा था। तभी उसकी नजर पानी की सतह पर आई व्हेल पर पड़ी। वह बोला, “व्हेल! तुम कितनी सुंदर और बड़ी हो।
जिस तरह मैं जंगल के जानवरों का राजा हूँ, उसी तरह तुम समुद्र के सभी जीवों की रानी हो। क्यों न हम दोनों दोस्त बन जाएँ,
ताकि मुसीबत के वक्त एक दूसरे के काम आ सकें?” “विचार तो अच्छा है,” कहकर व्हेल समुद्र के अंदर चली गई।
कुछ दिनों बाद अचानक व्हेल ने देखा कि एक बैल शेर के पीछे पड़ा है। समुद्र तट पर आकर शेर ने व्हेल को मदद के लिए पुकारा, पर जैसे ही व्हेल समुद्र से बाहर निकलने लगी, उसका दम घुटने लगा।वह दोबारा समुद्र में चली गई।
यह देखकर शेर को बहुत बुरा लगा। बाद में शेर ने व्हेल से पूछा कि वह मुसीबत के समय उसकी मदद के लिए क्यो नहीं आई तो वह बोली,
“इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, क्योंकि भगवान ने मुझे सिर्फ पानी में ही शक्तिशाली बनाया है। पानी से बाहर आकर मैं जीवित नहीं रह सकती।”
नैतिक शिक्षा: दोस्ती बराबर वालों में ही अच्छी होती है।
4. खजाने की खोज
एक गांव में एक रामलाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़को के साथ रहता था। रामलाल खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन उसके चारो लड़के आलसी थे।
जो गांव में वैसे ही इधर उधर घूमते रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा की अभी तो मै खेतों में काम कर रहा हूँ। लेकिन मेरे बाद इन लड़को का क्या होगा। इन्होने तो कभी मेहनत भी नहीं करी। ये तो कभी खेत में भी नहीं गए।
रामलाल की पत्नी ने कहा की धीरे धीरे ये भी काम करने लगेंगे। समय बीतता गया और रामलाल के लड़के कोई काम नहीं करते थे। एक बार रामलाल बहुत बीमार पड़ गया। वह काफी दिनों तक बीमार ही रहा।
उसने अपनी पत्नी को कहा की वह चारों लड़को को बुला कर लाये। उसकी पत्नी चारों लड़को को बुलाकर लायी। रामलाल ने कहा लगता है की अब मै ज्यादा दिनों तक जिन्दा नहीं रहूँगा। रामलाल को चिंता थी की उसके जाने के बाद उसके बेटों का क्या होगा।
इसलिए उसने कहा बेटों मैने अपने जीवन में जो भी कुछ कमाया है वह खजाना अपने खेतों के निचे दबा रखा है। मेरे बाद तुम उसमे से खजाना निकालकर आपस में बाँट लेना। यह बात सुनकर चारों लड़के खुश हो गए।
कुछ समय बाद रामलाल की मृत्यु हो गयी। रामलाल की मृत्यु के कुछ दिनों बाद उसके लड़के खेत में दबा खजाना निकालने गए। उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक सारा खेत खोद दिया। लेकिन उनको कोई भी खजाना नज़र नहीं आया।
लड़के घर आकर अपनी माँ से बोले माँ पिताजी ने हमसे झूठ बोला था। उस खेत में हमें कोई खजाना नहीं मिला। उसकी माँ ने बताया की तुम्हारे पिताजी ने जीवन में यही घर और खेत ही कमाया है। लेकिन अब तुमने खेत खोद ही दिया है तो उसमे बीज बो दो।
इसके बाद लड़को ने बीज बोये और माँ के कहेनुसार उसमे पानी देते गए। कुछ समय बाद फसल पक कर तैयार हो गयी। जिसको बेचकर लड़कों को अच्छा मुनाफा हुआ। जिसे लेकर वह अपनी माँ के पास पहुंचे। माँ ने कहा की तुम्हारी मेहनत ही असली खजाना है यही तुम्हारे पिताजी तुमको समझाना चाहते थे।
नैतिक शिक्षा: हमें आलस्य को त्यागकर मेहनत करना चाहिए। मेहनत ही इंसान की असली दौलत है।
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5. बलवान कछुए की मूर्खता:
एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी।
एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी। भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था। फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान कवच से बची थी। उसे काफी खुशी हुई क्योंकि बार-बार उसकी जान बच रही थी।
यह कवच विशाल को कुछ दिनों में भारी लगने लगा। उसने सोचा इस कवच से बाहर निकल कर जिंदगी को जीना चाहिए। अब मैं बलवान हो गया हूं , मुझे कवच की जरूरत नहीं है।
विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।
अचानक हिरण का झुंड तालाब में पानी पीने आया। ढेर सारी हिरनिया अपने बच्चों के साथ पानी पीने आई थी।
उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।
आज उसने अपना कवच नहीं पहना था। जिसके कारण काफी चोट जोर से लग रही थी।
विशाल रोता-रोता वापस तालाब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।
नैतिक शिक्षा: प्रकृति से मिली हुई चीज को सम्मान पूर्वक स्वीकार करना चाहिए वरना जान खतरे में पड़ सकती है।
6. साहस का परिचय
जंगल में सुंदर-सुंदर हिरण रहा करते थे। उसमें एक सुरीली नाम की हिरनी थी। उसकी बेटी मृगनैनी अभी पांच महीने की थी। मृगनैनी अपनी मां के साथ जंगल में घूमा करती थी।
एक दिन मृगनैनी अपने मां के साथ घूम रही थी, तभी दो गीदड़ आ गए।
वह मृगनैनी को मार कर खाना चाहते थे।
सुरीली दोनों गीदड़ को अपने सिंघ से मार-मार कर रोक रही थी।
मगर गीदड़ मानने को तैयार नहीं थे।
वहां अचानक ढेर सारे हिरनी का झुंड आ गया।
हिरनी गीदड़ के पीछे दौड़ने लगी। गीदड़ अपने प्राण लेकर वहां से रफूचक्कर हो गया।
सुरीली और मृगनैनी की जान आज उसके परिवार ने बचा लिया था।
नैतिक शिक्षा: एक साथ मिलकर रहने से बड़ी से बड़ी चुनौती दूर हो जाती है।
7. अंधे व्यक्ति की सूझ-बूझ
एक नगर में एक अंधा व्यक्ति रहता था। वह स्पर्श मात्र से ही किसी भी चीज को पहचान लेता था। उसका एक बेटा था।
एक दिन उसका बेटा जंगल से एक भेड़िए का एक बच्चा पकड़ लाया और उसे अपने पिता की गोद में डालते हुए बोला,
“पिताजी! बताइए, यह क्या है? ” अंधे ने भेड़िए के बच्चे के शरीर पर हाथ फेरा और बोला, “मुझे पूरी तरह तो नहीं मालूम,
पर फिर भी कह सकता हूँ कि यह जानवर लोमड़ी या उसी की प्रजाति का है।
साथ ही, यह बात तो मैं दावे से कह सकता हूँ कि यह भेड़ से अलग है।”
इस तरह उस अंधे व्यक्ति ने अपनी बुद्धिमानी से बिना देखे ही दिए गए जानवर को पहचान लिया और सिद्ध कर दिया कि आँखों के न होने पर भी व्यक्ति को सामान्य काम करने में बाधाएँ नहीं आती।
नैतिक शिक्षा: सूझ-बूझ व समझदारी से हर काम किया जा सकता है।
8. स्वर्ग की यात्रा:
एक बार बादशाह अकबर के बाल नाई काट रहा था। नाई बोला हुजूर आपने यहाँ राज्य में तो सबके लिए अच्छा प्रबंध किया है लेकिन आपके स्वर्ग में जो पूर्वज है उनके हालचाल के बारे में पता है वह वहाँ ठीक तो है ना।
उनको किसी चीज़ की कमी तो नहीं है। अकबर ने बोला कैसी पागलों जैसी बात कर रहे हो स्वर्ग के बारे में हमें कैसे पता की पूर्वज कैसे है। इस पर नाई बोला कुछ दुरी पर एक तांत्रिक रहता है वह लोगों को जिन्दा ही स्वर्ग की यात्रा कराता है।
उसने बहुत से लोगों को अपने पूर्वज से मिलाया है और स्वर्ग की यात्रा कराई है। अकबर ने बोला उस तांत्रिक को कल दरबार में हाजिर करो। अगले दिन नाई तांत्रिक को ले आया। अकबर के पूछने पर तांत्रिक बोला हजूर मैंने बहुत लोगों को स्वर्ग की यात्रा कराई है।
नैतिक शिक्षा: अन्धविश्वास में कभी भी विश्वास न करे।
9. लालची औरत की कहानी:
एक बार की बात है एक गांव में श्याम नाम का मछुआरा और उसकी पत्नी रहते थे। वह बहुत गरीब थे और एक झोपड़ी में रहते थे। मछुआरा केवल अपने खाने के लायक ही मछली पकड़ पाता था और कभी कभी मछली न मिलने पर खाली हाथ ही आ जाता था।
वह सवभाव से बहुत सीधा और भला इंसान था लेकिन उसकी बीवी लालची औरत थी। जब भी श्याम मछली पकड़ने में नाक़ामयाब रहता तो वह उसको डांटती थी। एक दिन की बात है श्याम मछली पकड़ने के लिए समुंदर में गया वहाँ जाकर पुरे दिन मछली पकड़ने पर उसके हाथ कोई मछली नहीं आयी लेकिन जैसे ही शाम को वह मछली पकड़ रहा था उसके जाल में एक मछली फ़स गयी जो देखने में बड़ी थी और शार्क मछली जैसी दिख रही थी।
मछुआरा इस पर बहुत ख़ुश हुआ और सोचा आज का जुगाड़ हो गया लेकिन तभी वह मछली बोल पड़ी और बोली मै स्वर्ग से आयी एक अप्सरा हूँ लेकिन अभी इस रूप में हूँ तुम मुझको छोड़ दो लेकिन तुमको जब भी जरुरत पड़ेगी यदि तुम मुझको पुकारोगे तो मै आ जाऊँगी। यह सुनकर श्याम ने उस मछली को छोड़ दिया और खाली हाथ ही घर की ओर चल दिया।
घर जाने पर जब उसकी बीवी ने खाली हाथ आने का कारण पूछा तो उसने सारी बात बता दी। उसकी बीवी बोली तुमको स्वर्ग की अप्सरा मिली और तुम बिना कुछ माँगे चले आये जाओ और हमारे लिए एक अच्छा घर मांग कर आओ।
नैतिक शिक्षा: कभी भी लालच न करे।
10. अलीबाबा और चालीस चोर:
बहुत साल पहले परसिआ के एक शहर में कालीन का एक व्यापारी रहता था। उसके 2 बेटे थे कासिम और अलीबाबा। उसका व्यापार अच्छा चल रहा था लेकिन कुछ समय बाद उसकी मौत हो गयी जिसके बाद बड़े बेटे क़ासिम जो की लालची व्यक्ति था उसने सारे व्यापार पर कब्ज़ा कर लिया और अलीबाबा को घर निकाल दिया।
जिसके बाद अलीबाबा और उसकी बीवी दूसरी जगह जाकर रहने लगे और ग़रीबी में जीवन बिताने लगे। अलीबाबा जंगल में लकड़ियाँ काट कर बेचता था और अपनी बीवी और बच्चों का पालन पोषण करता था। यह सब ऐसा ही चल रहा था की एक दिन अलीबाबा जंगल में लकड़ियाँ काट रहा था तो उसने 40 घुड़सवार को जंगल में से गुजरते हुए देखा वह एक पेड़ के पीछे छिप कर यह सब देख रहा था।
उसने देखा उन सभी घुड़सवार के साथ एक पोटली थी और उनके पास खंजर भी था जिससे अलीबाबा समझ गया की यह सब चोर है। वह उन सभी को देख ही रहा था की वह सब 40 चोर एक छोटी पहाड़ी के सामने जाकर रुक गए। उन चोरों के सरदार ने पहाड़ी के सामने जाकर “खुल जा सिम सिम ” बोला जिसके बाद पहाड़ी में से एक खुफ़िया दरवाज़ा खुल गया और सारे चोर अंदर चले गए और वह दरवाजा बंद हो गया।
निष्कर्ष:
हमें उम्मीद है की आपको हमारी Moral Stories in Hindi पढ़ कर जरूर मज़ा आया होगा। यह Short Stories, Hindi Kahaniyan न केवल kids को पढ़ने में अच्छी लगती है बल्कि यह बड़े लोगों के मनोरंजन का साधन भी बनती है और हमें बचपन की याद दिलाती है। हम बच्चों के लिए ऐसी ही नई नैतिक कहानियाँ यहाँ पर डालते रहेंगे। यदि आपको हमारी नैतिक कहानियाँ पसंद आयी हो तो आप हमकों इसके बारे में नीचे comment भी कर सकते है।